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सुखी परिवार पार्ट 2.

  विषय- सुखी परिवार .2 मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते! ( यूहन्ना 15:5)  मित्रों एक विश्वासी परिवार तभी सुखी रह सकता है जब वह अपने परिवार में परमेश्वर को जीवन का मूल स्रोत बनाता है! क्योंकि हम परमेश्वर से जन्मे हैं और यदि परमेश्वर से ही हम अलग हो जाए तो हम क्या कर सकते हैं हम कुछ नहीं कर सकते जड़ से अलग होकर डाली फल नहीं सकती उसी तरह परमेश्वर से अलग होकर हम कुछ कर नहीं सकते! एक सुखी परिवार स्त्री और पुरुष के संबंधों के ऊपर निर्भर रहता है कि उनका आपसे प्रेम कैसा है क्या वह एक दूसरे की अधीनता और आज्ञाकारीता में है क्योंकि आशीष इसी में छुपी है अगर पुरुष गाड़ी का इंजन है तो स्त्री उस गाड़ी का पहिया है यानी सहायक अगर पुरुष उस गाड़ी को खींचता है तो स्त्री उस गाड़ी के पाहिए की तरह उस गाड़ी के भार को कम करने में सहायक का काम करती है  जो उसके भार को कम करती हैं और दोनों कब मिल कर रहना जरूरी है! आदमी संसार में रहकर सुख चाहता है कोई भी दुख पसंद नहीं करता फिर भी आज हर परिवार दुखी है आदमी चांद पर भी पहुंच गया फिर भी उसके दुख दूर नहीं हुए यह दुख कैसे दूर होंगे परिवार...