विषय- धोखा मैं धर्मी हूं!
यदि कोई अपने आप को भक्त समझे और अपनी जीभ पर लगाम ना दे पर अपने हृदय को धोखा दे तो उसकी भक्ति व्यर्थ है!
(याकूब 1:26)
जी हां मित्रों आज ज्यादातर विश्वासियों में यह सबसे बड़ा धोखा है कि मैं धर्मी हूं ऐसा नहीं कि प्रभु ने हमें धर्मी नहीं बनाया यीशु मसीह ने अपने लहू से
धोकर हमें धर्मी बनाया है लेकिन धर्मी एक जीवन है जो सच्चाई और खराई का जीवन है इसमें झूठ और पाप की कोई जगह नहीं है लेकिन यदि हम अपने आपको देखें तो क्या हमारा जीवन ऐसा है क्या हमने झूठ बोलना छोड़ दिया है क्या हमने लालच करना छोड़ दिया है क्या हमने पूरी रीति से सच बोलना सीख लिया है क्या हमने बुराई करना छोड़ दिया है नहीं मित्रोंआज भी हममें बहुत सारी ऐसी गलत आदतें हैं जिसके कारण से हम धोखे में जी रहे हैं कि हम धर्मी हैं जबकि धर्मी बनने के लिए हमको पूरी रीती से यीशु के लहू में शुद्ध होना पड़ेगा और सच्चाई के मार्ग पर चलना पड़ेगा वचन के अनुसार अपने जीवन को जीना पड़ेगा लेकिन हम तो अपने मन के अनुसार जीने की कोशिश करते हैं कुछ ही लोग हैं जो वचन के अनुसार सच्चाई से खराई से चलने की कोशिश करते हैं और वही लोग परमेश्वर के पुत्र कहलाते हैं बाकी लोग तो धोखे में जी रहे हैं!
आज हर व्यक्ति को ऊपर से अपने शरीर पर कपड़े, पगड़ी, दाढ़ी, बाल बढ़ाकर लगाकर अपने को धर्मी साबित करके अपने को मन को धोखा देता है क्योंकि हर एक व्यक्ति का मन उसकी गवाही देता है कि वह चरित्र में कैसा है एक व्यक्ति ने सामने से आते हुए एक भाई इसको सुसमाचार सुनाना चाहा वह व्यक्ति लंबे बाल दाढ़ी रखे हुए था गले में बड़ी-बड़ी मालाएं पहने था उसने सोचा यह व्यक्ति परमेश्वर की खोज में हैं उसे सही राह दिखाई जाए इसलिए लंबी दाढ़ी बाल वाले भाई को सुसमाचार सुनाएं दाढ़ी वाला भाई सुनते सुनते उसने अपने कुर्ते की जेब से बीड़ी निकालकर पीने लगा सुसमाचार सुनाने वाले भाई ने उससे कहा अरे भाई यह क्या कर रहे हो क्या आप नहीं जानते हमारा शरीर परमेश्वर का मंदिर है यह दाढ़ी वाला भाई कहने लगा मैं जानता हूं शरीर परमेश्वर का मंदिर है इसलिए तो बीड़ी पी रहा हूं क्योंकि मंदिर में अगरबत्ती की जरूरत होती है ऊपर का बदलाव हमें धर्मी नहीं बना सकता दाढ़ी, बाल, कपड़े, दान पुण्य यात्रा अगर इन्हीं से हम धर्मी ठहरते तो यीशु को इस दुनिया में आकर अपना लहू बहाकर क्रॉस पर मरने की जरूरत नहीं पड़ती!
यीशु ने कहा "तुम बुरे हो कर कैसी अच्छी बातें कह सकते हो क्योंकि जो मन में भरा वहीं मुंह पर आता है""!
( मत्ती 12:34)
आज हर एक विश्वासी जन या अन्य जाति सब के सब सांसारिक कामों के द्वारा अपने आप को धर्मी दिखाना चाहते हैं इसीलिए कोई चींटी को खाना खिला रहा है तो कोई सूर्य को जल चढ़ा रहा है कोई पेड़ों की पूजा कर रहा है तो कोई पक्षियों को दाना खिला रहा है मैं यह नहीं कहता कि जीव जंतु को खाना पीना नहीं खिलाना चाहिए लेकिन इन सब कामो द्वारा हम धर्मी नहीं ठहरते जब तक कि हमें यीशु मसीह का लहू हमारे पापों से शुद्ध ना कर दे!
इसीलिए यशायाह भविष्यवक्ता कहता है!
(याशायाह 64:6)
हमारे धर्म के काम सब के सब मैले चिथड़ो के समान है!
इसलिए मित्रों अपने आपको शास्त्री और फरीसियों की तरह नहीं परंतु यीशु मसीह की तरह सच्चाई ईमानदारी और खराई से चलने वाला बनाइए ताकी परमेश्वर हमें धर्मी कहे!
प्रभु आप सबको आशीष दे !
Praise The Lord 🙏
Mr.pawan yadaw.
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