Chanakya Niti – Sixteenth Chapter in Hindi (चाणक्य नीति – सोलहवां अध्याय Chanakya (चाणक्य) Chanakya Neeti – Sixteenth Chapter (चाणक्य नीति – सोलहवां अध्याय) 1: संसार के उद्धार के लिए जिन लोगो ने विधिपूर्वक परमेश्वर का ध्यान नहीं किया, स्वर्ग में समर्थ धर्म का उपार्जन नहीं किया, स्वप्न में भी सुन्दर युवती के कठोर स्तनों और जंघाओं के आलिंगन का भोग नहीं किया, ऐसे व्यक्ति का जन्म माता के यौवन रूपी वन को काटने वाली कुल्हाड़ी के समान है। 2: आचार्य चाणक्य का मानना है कि कुलटा (चरित्रहीन) स्त्रियों का प्रेम एकान्तिक न होकर बहुजनीय होता है। उनका कहना है की कुलटा स्त्रियां पराए व्यक्ति से बातचीत करती है, कटाक्षपूर्वक देखती है और अपने ह्रदय में पर पुरुष का चिंतन करती है, इस प्रकार चरित्रहीन स्त्रियों का प्रेम अनेक से होता है। 3: जो मुर्ख व्यक्ति माया के मोह में वशीभूत होकर यह सोचता है कि अमुक स्त्री उस पर आसक्त है, वह उस स्त्री के वश में होकर खेल की चिड़िया की भांति इधर-से-उधर नाचता फिरता है। 4: आचार्य चाणक्य का कहना है कि इस संसार में कोई भाग्यशाली व्यक्त...