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जब न हो जीने की आस*_ 🌎

*जब न हो जीने की आस*_

_हर दिन, दुनिया-भर में करीब 3,000 लोग अपनी जान लेने की कोशिश करते हैं। क्या बात उन्हें इतना निराश कर देती है कि वे जीना ही नहीं चाहते? बाइबल इसकी एक बुनियादी वजह बताती है। वह यह कि हम ‘संकटों से भरे ऐसे वक्‍त’ में जी रहे हैं_ 
_*“जिसका सामना करना मुश्‍किल” है। आज लोग हर वक्‍त तनाव और चिंता से घिरे रहते हैं। (2 तीमुथियुस 3:1; सभोपदेशक 7:7)*_

_जब एक इंसान को अपनी चिंताओं से निकलने का कोई तरीका नहीं सूझता तो शायद उसे एक ही रास्ता नज़र आए, खुदकुशी करना। अगर आपके मन में कभी ऐसा खयाल आता है, तो आप क्या कर सकते हैं?_

 _*आप अकेले नहीं हैं!*_

_चाहे आपके हालात कितने ही बुरे क्यों न हो, एक बात हमेशा याद रखिए कि आप अकेले नहीं हैं। आज लगभग सभी लोग किसी-न-किसी मुश्‍किल से गुज़र रहे हैं।

 बाइबल कहती है:_
_*“सारी सृष्टि . . . एक-साथ कराहती और दर्द से तड़पती रहती है।” (रोमियों 8:22)*

_हो सकता है, आपको लगे कि आपकी मुश्‍किलें पहाड़ जैसी हैं, उनका कोई हल नहीं। मगर अकसर देखा गया है कि वक्‍त के गुज़रते हालात सुधर जाते हैं। लेकिन तब तक, क्या बात आपकी मदद कर सकती है?_

 _*किसी समझदार,*_

_भरोसेमंद दोस्त को अपनी भावनाएँ बताइए। बाइबल बताती है:_
_*“[सच्चा] मित्र सब समयों में प्रेम रखता है, और विपत्ति के दिन भाई बन जाता है।”*_
_*(नीतिवचन 17:17)*_ 

_बाइबल में अय्यूब नाम के एक नेक आदमी के बारे में बताया गया है। उस पर जब बुरा वक्‍त आया, तो उसने दूसरों को बताया कि वह कैसा महसूस कर रहा है। वह_ _*“अपने जीवन से ऊब गया”*_ _था और उसने कहा:_ _*“मैं जी भर कर अपना दुखड़ा रोऊंगा; मैं अपने मन की कड़ुवाहट में बोलूंगा।”*_

_*(अय्यूब 10:1,)*_
_किसी भरोसेमंद दोस्त को अपनी भावनाएँ बताने से आप कुछ हद तक इन पर काबू पा सकेंगे। और इससे शायद आप अपनी मुश्‍किलों को एक अलग नज़रिए से देखने लगें।_

_*प्रार्थना में परमेश्‍वर को*_

_अपने दिल का सारा हाल कह सुनाइए। कुछ लोगों का मानना है कि प्रार्थना करने से सिर्फ मन का बोझ हलका होता है और कुछ नहीं। मगर बाइबल ऐसा नहीं कहती।

 इसके उलट,_ _*भजन 65:2*_ _में लिखा है कि यहोवा परमेश्‍वर ‘प्रार्थना का सुननेवाला’ है। और_ _*1 पतरस 5:7 कहता है*_ _की_ _*“उसे तुम्हारी परवाह है।”*_ _

बाइबल की कई आयतें बताती हैं कि मुश्‍किलों के दौरान परमेश्‍वर पर भरोसा रखना क्यों ज़रूरी है। मिसाल के लिए:_

_“तू अपनी समझ का सहारा न लेना, वरन सम्पूर्ण मन से यहोवा पर भरोसा रखना। उसी को स्मरण करके सब काम करना, तब वह तेरे लिये सीधा मार्ग निकालेगा।”—_

_*नीतिवचन 3:5, 6.*_

_“जो [यहोवा] से डरते हैं वह उनकी इच्छा पूरी करेगा; वह उनकी दुहाई भी सुनेगा और उन्हें बचा लेगा।” —_
_*भजन 145:19,*_

_“हमें परमेश्‍वर के बारे में यह भरोसा है कि हम उसकी मरज़ी के मुताबिक चाहे जो भी माँगें वह हमारी सुनता है।”—_
_*1 यूहन्‍ना 5:14.*_

_“यहोवा दुष्टों से दूर रहता है, परन्तु धर्मियों की प्रार्थना सुनता है।”—_
_*नीतिवचन 15:29.*_

_*अगर आप परमेश्‍वर को*_

_अपनी मुश्‍किलों के बारे में बताएँ, तो वह ज़रूर आपकी मदद करेगा। इसीलिए बाइबल आपको बढ़ावा देती है कि_ 
_*“हर समय उस पर भरोसा रखो; उस से अपने अपने मन की बातें खोलकर कहो।”—*_
_*भजन 62:8.*_

_*बाइबल में ऐसी जानकारी दी गयी है*_

_जिसे पढ़कर आपको एक उम्मीद और जीने की वजह मिलेगी। मिसाल के लिए,_ 
_*प्रकाशितवाक्य 21:4 यहोवा परमेश्‍वर के बारे में कहता है:*_ 
_*“वह उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा, और न मौत रहेगी, न मातम, न रोना-बिलखना, न ही दर्द रहेगा। पिछली बातें खत्म हो चुकी हैं।”*_
_परमेश्‍वर वादा करता है कि वह ऐसा ज़रूर करेगा और इस पर गहराई से सोचने से आपके दिल को चैन मिल सकता है।_

_*बाइबल से मदद*_

_● “किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो, मगर हर बात में प्रार्थना और मिन्‍नतों और धन्यवाद के साथ अपनी बिनतियाँ परमेश्‍वर को बताते रहो। और परमेश्‍वर की वह शांति जो हमारी समझने की शक्‍ति से कहीं ऊपर है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल के साथ-साथ तुम्हारे दिमाग की सोचने-समझने की ताकत की हिफाज़त करेगी।”—_
_*फिलिप्पियों 4:6, 7.*_

_● “मैंने यहोवा से मांगा और उसने मुझे उत्तर दिया और मेरे सब भय से मुझे छुटकारा दिया।”—_
_*भजन 34:4,*_

_● “यहोवा टूटे मनवालों के समीप रहता है, और पिसे हुओं का उद्धार करता है।”—_
_*भजन 34:18.*_

_● “वह टूटे मन वालों को चंगा करता और उनके घावों की मरहम-पट्टी करता है।”—_

_*भजन 147:3,*_
प्राइस The Lord 🙏
Mr. Pawan yadaw.

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