विषय- क्या आप जल और आत्मा से बहते हैं!
5- हवा लगना- किसी प्रकार का बुरा परिणाम या व्यक्तिगत परिणाम!
मित्रों जब हम हवा की बात करते हैं तो हमारा पूरा का पूरा भूमंडल बहुत सी गैसों और हवा के तत्व से घिरा हुआ है, जिसमें निरंतर ऑक्सीजन कम होती जा रही है जिसके कारण प्रकृति से छेड़छाड़ आज मानव जाति में और अहम के कारण प्रकृति से निरंतर छेड़छाड़ करता जा रहा है और विकास की ओर व पृथ्वी को विनाश की ओर ले जा रहा है इसका प्रतिफल हम इस दुनिया में आज की परिस्थितियों के रूप में देख रहे हैं कि वह निरंतर बढ़ती जा रही है और प्राकृतिक आपदाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं!
जिसका संकेत आज से 2023 साल पहले यीशु मसीह ने ही बता दिया था!
( मत्ती 24)
हवा लगना- किसी प्रकार का बुरा परिणाम या व्यक्तिगत परिणाम!
अगर इस मुहावरे के अर्थ को हम इस समय देखें तो आज के दौर में यह मुहावरा बिल्कुल उपयुक्त है क्योंकि आज शैतान की हवा पूरी दुनिया को लग चुकी है और लगातार मनुष्य जाति उसी हवा के साथ चलती चली जा रही है जिसका परिणाम बुरा और अपमानजनक हो जाता है!
और यदि हम आत्मिक भाषा में इसे समझें तो आने वाले युगों में जो अंधकार का राज्य बढ़ने वाला था अर्थात पृथ्वी पर जब नकारात्मक गैसों या हवा का राज्य बढ़ने वाला था उसमें जीवित रहने के लिए जो ऑक्सीजन की कमी होने वाली थी उसके बारे में यीशु मसीह ने पहले ही बताया था कि अंत के समय में लोग कैसे जीवित रहेंगे और इसीलिए यीशु मसीह ने कहा कि मैं जगत की ज्योति हूं जिस पर मुझ पर विश्वास करूंगा कि वाह नाश नहीं होगा लेकिन अनंत जीवन होगा!
अंत समय में इस अंधकार से भरी दुनिया में हमें जीवित रहने के लिए यीशु मसीह को ग्रहण करना ही होगा और तब यीशु मसीह ने कहा था कि मैं एक सहायक अर्थात् पवित्र आत्मा अर्थात् शुद्ध वायु १००% शुद्ध ऑक्सीजन हूं जो इस समय हमें जीवित रखने में परिस्थितियों से लड़ने में नेताओं में लड़ने से हमारे लिए प्रेरणा प्रमाण होगा और जीवन जीने के लिए मेरे वचनों से यही बताएगा अर्थात हमें जीवित रहने के लिए जो जीवन हमारा होना चाहिए वह भगवान के वचन से पवित्र आत्मा हमें बताएगा!
( योआश 16:7-13-15)
मैं अब तुम्हारे साथ और बहुत सी बातें ना करूंगा क्योंकि इस संसार का सरदार आता है मुझ पर उसका कोई अधिकार नहीं लेकिन ऐसा इसलिए होता है कि संसार जाता है कि मैं पिता से प्रेम रखता हूं और जैसे पिता ने मुझे आज्ञा दीव्वास ही करता हूं उठो यहां से चले!
( योआ 14:30)
यीशु मसीह यहां जिस सरदार की बात कर रहे हैं, वह वास्तव में एक तरह का व्यक्तित्व है, इसे प्रभुता करने वाला कहा जाता है, सरदार का मतलब प्रभुता करने वाला व्यक्तित्व यानी अंधकार का साम्राज्य जो आने वाला था पृथ्वी के ऊपर जिसके बारे में वे बता रहे हैं!
इसीलिए उन्होंने कहा कि वह मुझ पर प्रभुता नहीं कर सकते क्योंकि यीशु मसीह 100% पवित्र परमेश्वर और पवित्र आत्मा से प्रेरित थे और इसीलिए उन्होंने चेलों से कहा कि यहां से यदि हर एक विश्वासी को अंधकार से निकाल कर चल देना है, तो ज्योति में जहां पर ऑक्सीजन मिलती है, ताकि हमारे प्राण जीवित रहें और इसीलिए यीशु मसीह ने कहा कि विश्वासी और अविश्वासी का कोई मेल नहीं है, ज्योति और अंधकार का कोई मेल नहीं है!
और इसी अंधकार के साम्राज्य से लड़ने के लिए और अनंत जीवन में प्रवेश करने के लिए उसने एक कलीसिया का निर्माण किया और कुछ चुने हुए लोगों को पवित्र आत्मा से प्रेरित किया ताकि वह जाकर लोगों को अंधकार से आशा ज्योति लाए या प्राणवायु हवा के निकट लाए ताकि वे सब जीवित रहें!
तुम पर शुद्ध जल छिड़क लूंगा और तुम शुद्ध हो जाओगे और मैं तुम्हें तुम्हारी सारी शुद्धता और आनन्द से शुद्ध करूंगा मैं तुम्हें नए मन दूंगा और तुम्हारे भीतर कोई आत्मा उत्पन्न नहीं होगी और तुम्हारे देह में से पत्थर का हृदय हो, तुमको मास का हृदय होगा और जहां मैं तुम्हें एक नया मन दूंगा !
( यहेजकेल 36:25-26)
यहां पर नए जन्म के बारे में यीशु मसीह ने खुलकर बता दिया जल और आत्मा जल जो शुद्ध करता है और आत्मा एक नई हवा को हमारे अंदर दे दिया!
मित्रों मैंने आपको आत्मिक और साइंटिफिक दोनों भाषाओं में नए जन्म के बारे में बताया और हवा और आत्मा और जल के बारे में बताया आशा करता हूं कि आपको वचन समझ में आया होगा!
प्रभु आप सबको आशीष दे!
Praise The Lord 🙏
*पर्मेश्वर पर निर्भरता*
इंसान की जानकारी में, लगातार इज़ाफ़ा होते जा रहा है| वो बहुत कुछ जान गया है, मगर अगले लम्हे के बारे में नहीं जनता है| ये निश्चित है अगली सुबह होगी, मगर आंख खुलेगी या नहीं, या हम सोते ही रह जाएंगे; कोई नहीं जनता| गूगल पर ज़माने भर की जानकारियां हैं, मगर वक़्त की कोई जानकारी नहीं है| जो हांथों की रेखाओं की जानकारी रखते हैं, वो भी अगले पल के बारे में कुछ नहीं जानते|
सभो.9.12 में लिखा है क्योंकि मनुष्य अपना समय नहीं जानता। जैसे मछलियाँ दुःखदाई जाल में और चिड़ियें फंदे में फँसती हैं, वैसे ही मनुष्य दुःखदाई समय में जो उन पर अचानक आ पड़ता है, फँस जाते हैं।कौन जानता था, की तुर्की में हज़ारों लोग अगली सुबह नहीं देख पाएंगे| न जाने कितने ही लोग अलार्म लगा कर सोए होंगे| न अलार्म बजा, न सोने वाला जागा| भविष्य के झरोखे में झांककर देखने की लियाक़त, ख़ुदा के आलावा किसी और में नहीं है| कौन सी धड़कन और कौन सी सांस आखरी होगी, फ़रिश्ते भी नहीं जानते| हमारे पास परमेश्वर पर निर्भरता के आलावा, कोई दूसरा विकल्प है ही नहीं|
*रोज़ की रोटी ( 19 फरवरी )*
*वक़्त ख़ुदा के हाथ में है|*
हम समस्याओं के युग में जी रहे हैं, दिन काम में, तो रात तनाव में गुज़र जाती है। अगर सुख और दुःख को तराजू के प्यारे पलड़ों में रखें, तो दुःख का पलड़ा ही भरी निकलेगा। कभी-कभी कोई दिन बहुत बुरा गुज़रता है, ऐसा लगता है जैसे ख़ुशियाँ रूठ गई हों। इंसान घर आराम के लिए बनाता है, मगर घर दिलाकर भी सुख नहीं पाता। कभी-कभी लोग कहते हैं, दिन बुरे चल रहे हैं। आपका दिल चाहता है, अच्छे दिनों में काश लौट आते तो बेहतर होता| वक़्त ना अच्छा होता है, ना ही बुरा| अच्छे या बुरे तो हालात होते हैं, जो हमारे ख़्यालों पर असर डालते हैं। आप अच्छी सोच चाहते हैं, मगर बुरे ख़्याल ही दिमाग में आते हैं। भजन ३१:१५ में लिखा है – मेरे दिन तेरे हाथ में हैं| मूल इब्रानी शब्द का मतलब है, समय| वह चाहे तो दिन को रात, और रात को दिन में बदल सकता है| उसके एक मुख पर, चाँद और सूरज थम जाते हैं| लाल समुंदर दो भाग हो जाता है, चार दिन का मारा हुआ लेजर कब्र से बाहर आ जाता है। खुदा के बच्चों के लिए वक्त अच्छा या बुरा नहीं होता, खुदा के बच्चों का वक्त खुदा के हाथ में होते हैं, वो जब अच्छा होता है तो पलभर में बदल देता है।
* सावधान *
1 पतरस 5:8 सावधान रहो और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारे विरोधी शैतान गरजने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहती है, कि किस को तोड़ खाए।
*सावधान* जब आप इन सब पर ध्यान दें, अपने जीवन में
1. *सावधान* जब प्रार्थना करना आपके लिए कठिन हो जाए।
लेवई
जब भी आप प्रार्थना करते हैं और आपको बोरियत होती है तो निराश होती है
2. *सावधान* जब आपको भगवान का वचन पढ़ने में आनंद नहीं आता है।
3. *सावधान* जब पवित्रता का जीवन जीने की बजाय आपको शारीरिकता जैसा दिखता हो रहा हो।
4. *सावधान* जब अनुग्रह के नाम पर पापी जीवन एक जीवन शैली बन जाए।
5. *सावधान* रहो जब आप भगवान की प्रजातियों के बजाय भगवान की प्रजातियों के लिए ललित हो।
6. *सावधान* जब तेरा मन फिर एक दिन प्रभु यीशु को देखने या उनके स्थान पर आने की इच्छा नहीं करे ।
7. *सावधान* जब आप दूसरों के साथ भगवान के वचनों को साझा नहीं करते।
8. *सावधान* , जब आप लोगों को अपने आस-पास रखने के लिए परमेश्वर का वचन और उपदेश में मिलावट करना शुरू करते हैं ।
9. *सावधान* हो जाएं अगर आप सोशल मीडिया पर ज्यादा समय बिताते हैं,
इंटरनेट-फेसबुक, यूट्यूब, गेम्स आदि । ये चीजें मूर्ति बन जाती हैं और भगवान का स्थान ले जाती हैं।
10. *सावधान* हो जाएं जब आप इस तरह के मैसेज को इग्नोर करते हैं।
इन सब से सावधान रहें।
शैतान आराम नहीं कर रहा है। हमें भी *सतर्क, सावधान, खबरदार* रहना चाहिए।
प्रभु की स्तुति हो 🙏.
आपके भाई
श्री पवन यादव.
Comments