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मसीहविरोधी के 22 तथ्य.

मसीहविरोधी के 22 तथ्य. 1. दानिएल 8:23 मसिहविरोधी बुद्धी से प्रविण होगा | और उसके बुद्धी के कारन सब लोग अचंभा करेंगे और अनेक जन भरमाए जाएंगे | 2. दानिएल 11:36 मसीह विरोधी ने चिकनी चुपड़ी बाते करेगा | सब के मन को भाने वाली बाते बोलेगा | और लोगों को फसाएगा | 3. प्रकाशितवाक्य17:11-12 मसीहविरोधी राजनैतिक विशेषज्ञ होगा | संसार के राजनिती में उसका सबसे बड़ा स्थान होगा | 4. दानिएल11:43 प्रकाशितवाक्य13:8 वह व्यवसाय में बहुत माहीर होगा | और अति धनाढ्य बन जाएगा | 5. प्रकाशितवाक्य6:2, 13:2 वह युद्ध और लड़ाई में कौशल होगा | 6. 2थिसालेनिकीयों2:4 प्रकाशितवाक्य13:8 वह धर्मिक स्थानो मे खुद को बड़ा बताएगा | और वह धर्मिक ज्ञान को भी रखेगा | 7. प्रकाशितवाक्य17:12 वह राजा के जैसा अधीकार पाकर, समस्त लोगों के उपर राज्य करने के लिए देखेगा | 8. दानिएल9:27 मसीहविरोधी इसराएल से 7साल के लिए वाचा बांधेगा और 3साल 6महिने बाद वह वाचा को तोड़ देगा | 9. प्रकाशितवाक्य12 वह पुरे इसराएल को नष्ट करने का प्रयत्न करेगा | 10. प्रकाशितवाक्य17:16-17 वह दूसरे झुटे धर्म को खत्म करके खुद के नया धर्म को स्थापि...

🅿🌎🙏2कुरिन्थियों 8:4 👉

२ कुरिन्थियों 8:4,5,7,8,9,11,12,14,15,16,19,21,22 4. और इस दान में और पवित्र लोगों की सेवा में भागी होने के अनुग्रह के विषय में हम से बार बार बहुत बिनती की। 5. और जैसी हम ने आशा की थी, वैसी ही नहीं, वरन उन्होंने प्रभु को, फिर परमेश्वर की इच्छा से हम को भी अपने तईं दे दिया। 7. सो जैसे हर बात में अर्थात विश्वास, वचन, ज्ञान और सब प्रकार के यत्न में, और उस प्रेम में, जो हम से रखते हो, बढ़ते जाते हो, वैसे ही इस दान के काम में भी बढ़ते जाओ। 8. मैं आज्ञा की रीति पर तो नहीं, परन्तु औरों के उत्साह से तुम्हारे प्रेम की सच्चाई को परखने के लिये कहता हूं। 9. तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह का अनुग्रह जानते हो, कि वह धनी होकर भी तुम्हारे लिये कंगाल बन गया ताकि उसके कंगाल हो जाने से तुम धनी हो जाओ। 11. इसलिये अब यह काम पूरा करो; कि जैसा इच्छा करने में तुम तैयार थे, वैसा ही अपनी अपनी पूंजी के अनुसार पूरा भी करो। 12. क्योंकि यदि मन की तैयारी हो तो दान उसके अनुसार ग्रहण भी होता है जो उसके पास है न कि उसके अनुसार जो उसके पास नहीं। 14. परन्तु बराबरी के विचार से इस समय तुम्हारी बढ़ती उनकी घटी में काम आ...

🌍🙏इफिसियों 3:9-21🅿🌎

इफिसियों 3:9-21 9. और सब पर यह बात प्रकाशित करूं, कि उस भेद का प्रबन्ध क्या है, जो सब के सृजनहार परमेश्वर में आदि से गुप्त था। 10. ताकि अब कलीसिया के द्वारा, परमेश्वर का नाना प्रकार का ज्ञान, उन प्रधानों और अधिकारियों पर, जो स्वर्गीय स्थानों में हैं प्रगट किया जाए। 11. उस सनातन मनसा के अनुसार, जो उस ने हमारे प्रभु मसीह यीशु में की थी। 12. जिस में हम को उस पर विश्वास रखने से हियाव और भरोसे से निकट आने का अधिकार है। 13. इसलिये मैं बिनती करता हूं कि जो क्लेश तुम्हारे लिये मुझे हो रहे हैं, उनके कारण हियाव न छोड़ो, क्योंकि उन में तुम्हारी महिमा है॥ 14. मैं इसी कारण उस पिता के साम्हने घुटने टेकता हूं, 15. जिस से स्वर्ग और पृथ्वी पर, हर एक घराने का नाम रखा जाता है। 16. कि वह अपनी महिमा के धन के अनुसार तुम्हें यह दान दे, कि तुम उसके आत्मा से अपने भीतरी मनुष्यत्व में सामर्थ पाकर बलवन्त होते जाओ। 17. और विश्वास के द्वारा मसीह तुम्हारे हृदय में बसे कि तुम प्रेम में जड़ पकड़ कर और नेव डाल कर। 18. सब पवित्र लोगों के साथ भली भांति समझने की शक्ति पाओ; कि उसकी चौड़ाई, और लम्बाई, और ऊंचाई, ...

🌎🌎Only 8 people had entered the ship of nine in the whole world🌍🌍

🌎 पूरी दुनियां में नूह के जहाज में सिर्फ 8 लोग ही  प्रवेश कर पाए। पूरी दुनियां में मूसा के समय में 2000000 लोगों में से सिर्फ 2 लोग ही कनान में प्रवेश कर पाए। क्यों...? क्यों              👉कि सकेत है  वह फाटक, और कठिन है वह मार्ग, जो जीवन को पहुंचाता है, और थोड़े हैं, जो उसमें प्रवेश कर पाते हैं। मत्ती 7:14 इसलिए, सकेत फाटक से प्रवेश करो, क्योंकि चौड़ा है वह फाटक, और सरल है वह मार्ग जो विनाश की ओर पहुँचाता है, और बहुत से हैं जो उसमें प्रवेश करते हैं। मत्ती 7:13 जो मुझसे हे प्रभु, हे प्रभु, कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है। मत्ती 7:21 यदि तेरा हाथ, पांव, कान, नांक, मुँह या आँख, तुझे ठोकर खिलाए, तो इन्हें काट कर फेंक दे, टुंडा, काना, लंगड़ा, अंधा, होकर, जीवन में प्रवेश करना तेरे लिए भला है, कि तू दो हाथ, दो पांव, दो आँख, दो कान, के रहते हुए तू अनन्त आग में डाला जाए। मत्ती 18:8 पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है ? तो आज्ञाओं को माना कर। मत्ती 19:17 हाय तु...

*पिता के वचन पर भरोसा रखो!*

* आत्मिक अमृत*   *गुरुवार, 20 जून अध्ययनः* मती 8ः23-27  *पिता के वचन पर भरोसा रखो!*  “....हे अल्पविश्वासियो, क्यों डरते हो?....”  (मत्ती 8ः26) एक बहुस्तरीय इमारत की ऊपरी मंजिल में आग लग गयी थी। सीढ़ी, एक गरजती हुई भट्टी जैसे जल रही थी और बचने के सारे साधन कट गये थे। सभी लोग किसी तरह से भाग कर नीचे पहुँच गये। पर दो बच्चों को शीर्ष फ्लैट की खिड़की पर देखकर बचाव दल हैरान हो गए।  तुरंत, शक्तिशाली पुरुषों ने एक गाढ़ा कंबल पकड़ लिया और इसे तना पकड़कर, बच्चों को कूदने को चिल्लाकर कहे। लेकिन बच्चे रो रहे थे, और ऐसे करने के लिये उन्हें डर लग रहा था। उसी समय, आग फुफकार रही थी, गरज रही थी और फर्श से फर्श ऊपर की ओर छलांग लगा रही थी। “कूदो, कूदो” लोगों ने चिल्लाया क्यों कि वे कुछ और करने में असमर्थ थे। पर उनका चिल्लाना व्यर्थ साबित हुआ। उसी समय एक आदमी भीड़ में भागता हुआ आया।  एक ही क्षण में उसने उस परिस्थिति को अपने नियंत्रण कर लिया। आगे बढ़ते हुए, उसने चिल्लाया “कूदो” और बच्चों ने तुरंत कूद लिया और सही समय में वे बच गये। हैरान बचाव दल ने उस आदमी...

🍞🍞🍔🍷Bread of everyday🍔🍔🍔

      🙏रोज़ की रोटी| 🙏 Bread of everyday येशू ने कहा तुम मेरे गवाह हो|   ईमान वालों की ज़िन्दगी में , गवाहियों की बड़ी अहमियत है| कलीसिया को सताने वाले कहते हैं , तुम मसीह येशू का प्रचार क्यों करते हो? येशू ने हमारे लिए जो किया है ,उसको देखते और समझते हुए , हम चुप कैसे रह सकते हैं? गवाही का मतलब , चर्च में एक बार गवाही देना नहीं है| भजन ६६.१६ में लिखा है ---हे पर्मेश्वर से डरने वालो , आ कर सुनो ; मैं बताऊंगा की उसने , मेरे लिए क्या क्या किया है| ना केवल उसके अहसानों को याद रखना है , बल्कि उसके आश्चर्यकर्मों का ज़िक्र बार बार करना है|धन्यवादी भेंट चढ़ाने और गवाही देने मात्र से आपकी ज़िम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती| बहुत बार लोग , समस्याओं का रोना रोते रहते हैं| इससे बहतर है की आप उन बातों का ज़िक्र करें , जो ख़ुदा ने आपके साथ की हैं| अगर पहले आश्चर्यकर्म हुए हैं , तो आज भी होंगे , और भविष्य में भी होते रहेंगे| क्योंकि वो कभी ना बदलने वाला पर्मेश्वर है| हालात बदलते हैं , लोग बदलते हैं , तो बदलने दीजिये| अपना ध्यान हालात और लोगों पर नहीं , ना बदलने वाले पर्मेश्वर पर केन्द्र...

👉🅿👉Don't crisp o only praise the Lord keep it up👪

अध्ययनः* निर्गमन 16ः1-14                               *कुड़कुड़ाओ मत! केवल स्तुति करते रहो!!*  ’’ जंगल में इस्राएलियों की सारी मंडली मूसा और हारून के विरुद्ध बकझक करने लगी।’’                   (निर्गमन 16ः2) एक गाँव में एक बड़ा परिवार सुबह के नाश्ते  के लिए एक मेज के चारों ओर बैठा था। उस परिवार की रीति के अनुसार पिताजी, जो घर के मुख्या थे प्रार्थना करने लगे और भोजन के लिए प्रभु को धन्यवाद दिया। उसके तुरन्त बाद, वह कुड़कुड़ाने लगा कि भोजन अच्छा नहीं है, उसने कुड़कुड़ाया कि उसकी अयोग्य पत्नी ने भोजन सही से नहीं बनाया है। तुरन्त उसकी छोटी बेटी बीच में बोल उठी, ‘‘पिताजी, क्या आपको लगता है कि परमेश्वर ने आपकी आशीष की प्रार्थना सुनी थी? ‘‘हाँ’’ पिताजी ने विश्वास से उत्तर दिया। ‘‘और क्या प्रिय प्रभु ने आपने जो भोजन के बारे में कहा था सुना होगा? ‘‘हाँ’’ पिता ने जवाब दिया, मगर पहले के समान विश्वास से नहीं। तब उस छोटी बेटी ने फिर से पूछा, ‘‘यदि य...