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*पिता के वचन पर भरोसा रखो!*

*आत्मिक अमृत* 



 *गुरुवार, 20 जून अध्ययनः* मती 8ः23-27

 *पिता के वचन पर भरोसा रखो!* 

“....हे अल्पविश्वासियो, क्यों डरते हो?....”  (मत्ती 8ः26)

एक बहुस्तरीय इमारत की ऊपरी मंजिल में आग लग गयी थी। सीढ़ी, एक गरजती हुई भट्टी जैसे जल रही थी और बचने के सारे साधन कट गये थे। सभी लोग किसी तरह से भाग कर नीचे पहुँच गये। पर दो बच्चों को शीर्ष फ्लैट की खिड़की पर देखकर बचाव दल हैरान हो गए। 



तुरंत, शक्तिशाली पुरुषों ने एक गाढ़ा कंबल पकड़ लिया और इसे तना पकड़कर, बच्चों को कूदने को चिल्लाकर कहे। लेकिन बच्चे रो रहे थे, और ऐसे करने के लिये उन्हें डर लग रहा था। उसी समय, आग फुफकार रही थी, गरज रही थी और फर्श से फर्श ऊपर की ओर छलांग लगा रही थी। “कूदो, कूदो” लोगों ने चिल्लाया क्यों कि वे कुछ और करने में असमर्थ थे। पर उनका चिल्लाना व्यर्थ साबित हुआ। उसी समय एक आदमी भीड़ में भागता हुआ आया। 

एक ही क्षण में उसने उस परिस्थिति को अपने नियंत्रण कर लिया। आगे बढ़ते हुए, उसने चिल्लाया “कूदो” और बच्चों ने तुरंत कूद लिया और सही समय में वे बच गये। हैरान बचाव दल ने उस आदमी से पूँछा कि वो कैसे सफल हुए जब बाकी लोगों के सारे प्रयत्न विफल हुए। उस आदमी ने जवाब दिया, “मैं उनका पिता हूँ।“ जब आग लगी तब वे वहाँ नहीं थे। 

और आग की खबर सुनते ही अपने दो बच्चों को बचाने के लिये वे सहीं समय पर घटनास्थल की ओर जल्दी आ गये। अपने पिता के वचन पर उन बच्चों को कितना भरोसा था! जब यीशु और उनके शिष्य नाव में सवार कर रहे थे, तब अचानक बिना किसी चेतावनी एक भयंकर तूफान निकला। 

शिष्य भयभीत हो गए। उन्हें लगा कि उनकी नाव ढह जायेगी और वे सभ मर जायेंगे। वे तेज तूफान और अशांत झील को देख रहे थे। उन्होंने सोचा कि यीशु उन पर ध्यान नहीं दे रहे थे और वे नाव पर शांति से सो रहे थे। 

वे निराश हो कर रोये “प्रभु, हमें बचाओ!” उनके विश्वास की कमी के लिये यीशु ने उन्हें फटकार कि। उन्हें विश्वास था कि उनके पिता की मर्जी के बिना उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा। तब उन्होंने आंधी और लहरों को फटकार कि और झील को शांत कर दिया। शिष्य आश्चर्यचकित हो गए।

प्रिय दोस्तों, हमें प्रभु पर विश्वास करना याद रखना चाहिए विशेष रूप से तब, जब हम गहरे पानी या आग से गुजर रहे हैं। मुसीबत के समय में हमें परमेश्वर के वादों पर संदेह नहीं करना चाहिए। प्रतिकूल परिस्थितियाँ- जो हमें खतरे में डालती हैं, उस से हमें घबराना नहीं चाहिए। 

प्रभु कहते हैं, ”मत डर, मैं तेरे संग हूँ,.. अपने धर्ममय दाहिने हाथ से में तुझे सम्भाले रहूँगा।“ (यशायाह 41ः10) उनका हाथ हमें बचाने के लिये ताकतवर हैं। इसलिये, आइये, हमें सभी आशंकाओं से छुटकारा पाना चाहिए, और हमें साहसपूर्वक विश्वास के साथ उठना चाहिए कि हमारे पिता हमारी परवाह हमेशा करते हैं। 

 *प्रार्थनाः* स्वर्गीय पिता, जब मेरे जीवन में उथल-पुथल है, तब मुझे परिस्थितियों को देखकर अपना विश्वास नहीं हारना चाहिए। आपकी उपस्थिति से अवगत होने में मेरी मदद करें। आपके वचन पर भरोसा करने और आप जो कहते है उसे करने में मेरी मदद करो ताकि मैं मेरे संकट से विजयी रूप से उभरूँ। यीशु के नाम में मैं प्रार्थना करता हूँ।आमीन।

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