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विषय - सुखी परिवार पार्ट 1.

 विषय- सुखी परिवार 1.


मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते !

(यूहन्ना 15:5)

 जी हां मित्रो एक परिवार तभी सुखी रह सकता है जब वह परमेश्वर की अधीनता में अपना जीवन बिताता है परमेश्वर की उपस्थिति में जीवन बिताता है और जो परमेश्वर के साथ नहीं चलता उसकी उपस्थिति नही बैठता  कभी आनंद के साथ नहीं जी सकता आज बहुत से विश्वासी दुखी हैं परेशान है प्रभु यीशु के पीछे चल रहे हैं फिर भी दुखी हैं  और उनकी परेशानियों का कारण यही है कि वह परमेश्वर की उपस्थिति में नहीं बैठते हैं  परमेश्वर के आधीनता में नहीं रहते वह परमेश्वर की आज्ञाकारीताक में नहीं रहते नाम तो परमेश्वर का लेते हैं!

परंतु करते अपने मन की हैं और इसीलिए यीशु मसीह ने कहां मेरे तुम कुछ नहीं कर सकते जिसके अंदर परमेश्वर ने जन्म नहीं लिया जिसके अंदर परमेश्वर के वचन ही नहीं है प्रेम नहीं अधीनता नहीं और आज्ञाकारीता नहीं वाह परिवार कभी भी सुखी और आनंदित नहीं रह सकता क्योंकि जीवन का मूल स्रोत परमेश्वर है और परमेश्वर से अलग होकर आप जीवन का सच्चा नहीं उठा सकते!

ध्यान करेंगे सबसे पहले परमेश्वर ने आदमी को बनाया फिर आदमी से औरत बनाई परमेश्वर चाहता तो आदमी और औरत दोनों को अलग-अलग बना था परंतु उसने 1 में से दो किए इसका मतलब है कि पति-पत्नी दोनों एक हैं अलग-अलग नहीं जिस तरह हमारे हाथ पैर सिर आंखें नाक कान सब एक शरीर में जुड़े हुए रहते हैं वैसे ही पति पत्नी को एक रहना चाहिए!

इसके बाद बच्चे माता-पिता के द्वारा जन्म लेते हैं वह भी एक हैं यह एक बड़ा भेद है घरों में झगड़ा इसलिए होता है क्योंकि वह सब अपने आपको अलग अलग समझते हैं पूरा परिवार एक है और हमारे साथ परमेश्वर भी जुड़ा हुआ है हम सब में उसका आत्मा है जब आदमी परमेश्वर से अलग हुआ तभी से दुखी हुआ मुसीबतें आना शुरू हुई यहां तक की मौत और बीमारी भी मनुष्य के जीवन में आ गई क्योंकि जीवन का मूल स्रोत परमेश्वर उसके जीवन से हट गया!

(उत्पत्ति 3:16-19)

 यहां आदम के जीवन में दुख और मुसीबतों का कारण था आज्ञाकारीता और अधीनता में ना रहना और अपनी पत्नी की बात को मानना और स्त्री का शैतान की बात को मानना यही उनके पतन और दुख और मुसीबतों का कारण बना और यही आज हमारे समाज में होता चला जा रहा है!

स्त्री जोकि आदम से निकाली गई उसको अपने पति आदम के अधीनता में रहना था लेकिन वह अपने पति के अधीन न रही और आदम ने अपनी पत्नी की आज्ञा मांगी और आज यही पूरे समाज में हो रहा है आज स्त्रियां अपने पति की अधीनता में नहीं चल रही हैं बल्कि पति स्त्रियों के अधीन होते जा रहे हैं सिस्टम उल्टा हो रहा है और परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन हो रहा है इसी कारण से आज परिवार एक नहीं हो पा रहे हैं परिवार चल नहीं पा रहे हैं परिवार में झगड़े हैं क्योंकि घर की मुखिया आदम की जगह स्त्रियां होती जा रही हैं!

परमेश्वर ने स्त्रियों के ऊपर आदम का अधिकार क्यों रखा था? स्त्रियां कोमल हृदय की होती हैं स्त्रियां भावुक होती हैं वह निर्णय लेने में सक्षम नहीं होती क्योंकि उनके ज्यादातर निर्णय भावुकता से भरे होते हैं बुद्धि और समझदारी से नहीं अभिलाषा में घिरी रहती हैं इसलिए वह शैतान की बात में जल्दी आ जाती है वे भक्ति तो करती हैं लेकिन फिर भी कहीं न कहीं  अभिलाषा में गिर जाती हैं!

(2 तीमुथियुस 3:6-7)

स्त्री को परमेश्वर ने आदम के सहायक के रूप में उत्पन्न किया था कि वह उसकी सहायक हो  लेकिन आज स्त्रियां सहायक की जगह बॉस बनती जा रही हैं और इसी कारण से परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन हो रहा है स्त्रियों को हमेशा अपने पति के लिए  सहायक के रूप में काम करना चाहिए सहायक का मतलब उससे काम में बराबर का हकदार मददगार लेकिन उसके सिर पर चढ़कर बॉस बन कर नहीं बैठना चाहिए!

हालांकि सभी स्त्रियां ऐसे नहीं होती कुछ समझदार स्त्रियां ऐसी होती जो अपने पति के अधीनता में रहती हैं और सहायक के रूप में पति के साथ रहती हैं और उस परिवार को आप देखो वह परिवार हमेशा सुखी रहता है लेकिन जहां स्त्रियां बॉस बन जाती हैं अपनी मनमर्जी चलाने लगती हैं अपनी मनमानी करने लगती उसी परिवार में क्लेश झगड़े होते हैं दुख होता है!

अब्राहम और सारै का जीवन देखें सारै अब्राहम के अधीनता में रहती थी जबकि सारै का कोई बच्चा ना था एक समय आया जब सारै की बात अब्राहम ने मानी और अपनी दासी हजीरा से शादी कर ली तब परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन अब्राहम ने किया और परमेश्वर ने कुछ समय के लिए अब्राहम को छोड़ दिया और जो पुत्र हजीरा से उत्पन्न हुआ वह काफी झगड़ालू स्वभाव का हुआ जो उसके दुख का कारण बना और सारै और हाजिरा के बीच में बैर उत्पन्न हुआ दुख का कारण अब्राहम का सारै की बात को मानना था जबकि परमेश्वर अब्राहम से बात कर रहा था!

(उत्पत्ति 16:1-15)

 आज यही कारण है कि जब हम से परमेश्वर बात करता है कई बार हम परमेश्वर की आवाज को न सुनकर अपने घर वालों की बात मानते हैं अपनी पत्नी की बात मानते हैं अपने दोस्तों की बात मानते हैं और यही से हमारे जीवन में दुख और मुसीबत और परेशानियां शुरू होती हैं जबकि जीवन का मूल स्रोत परमेश्वर है हमें परमेश्वर की आवाज को सदैव सुनना चाहिए क्योंकि परमेश्वर जो बात बोलता है यदि उसकी आज्ञा मानेंगे तो आप हमेशा सुखी और आनंदित जीवन जिएंगे .

 प्रभु आप सबको आशीष दे!

Praise The Lord 🙏🙏.

Mr. Pawan yadaw.


 

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