* जब जीने का उद्देश्य ख़त्म हो जाए।*
इस धरती पर हर एक प्राणी का जीवन चक्र चल रहा है।
और सभी प्रकार के प्राणियों का जीवन यापन चल रहा है, पर इन सभी प्राणियों में ज्ञान वान, बुद्ध प्राणियों का जीवन यापन चल रहा है और वो कोई और नहीं बल्कि मनुष्य हैं।
हम सब जानते हैं कि इस दुनिया में सब कुछ जानने वाला, सबको समझने वाला, केवल हम इंसान हैं।
मानव जीवन एक शिक्षा का जीवन है, और सबसे अधिक सामान्य जीवन का रोमांच करने वाला भी मनुष्य ही है।
और सभी लोग जानते हैं कि मनुष्य ही है जो जीना चाहता है। और जब जीने का कोई मतलब ना हो या फिर कोई मकसद नहीं मिला तो मनुष्य एक ही बात कहता है अब जीने का कोई मतलब नहीं है।
बस अब और ज्यादा जीने का कोई उद्देश्य नहीं है। अब मैं नहीं जी रहा हूँ।
पर आपको अगर यह पता चल जाए, कि आज सांझ ही मर जाना है तो आप क्या उम्मीद करें।
तेरे दिन का ववहार वही रहेगा जो तेरा पता चल पर रहता है।
क्या आप उसी प्रकार की दुकान पर जाओगे जैसे आप पहले गए थे?
अद्भुत विश्व पृथ्वी जीवन:
अद्भुत विश्व पृथ्वी जीवन: क्या तुम उसी प्रकार से शोषण करोगे जैसे कि तुम पहले करते थे?
क्या तुम आज भी लूट पाट करोगे जैसे तुम पहले किया करते थे?
क्या तुम फिर से लड़ाई करोगे जैसे पहले करते थे?
क्या आप लोग वैसे ही करोगे जैसे पहले किया गया था। नहीं करेगा क्योंकि तुम सब जानते ही हो कि जो मनुष्य यह जान लेगा कि वह मरने वाला है तो वह कभी भी वह काम नहीं करेगा जो उसने पहले किया था।
याद रखो, तुम मर भी जाओगे तो भी लोग कितने दिन तुम्हारी बात करेंगे।
कितने दिन तक याद रखो,तुम्हारे मरने से लोगों का कौन सा काम रुक जाएगा।
तुम्हारी पत्नी कब तक रोएगी, तुम्हारा लड़का कब तक चुप रहेगा। लोगों का काम शुरू हो जाएगा। आपकी पत्नी, दोस्त, बच्चे, भाई, संबंध सब फिर खुश होंगे। फिर सब मजे से आनंद से जीने लगे।
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