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Showing posts from March, 2023

विषय- धोखा मैं धर्मी हूं !

विषय- धोखा मैं धर्मी हूं! यदि कोई अपने आप को भक्त समझे और अपनी जीभ पर लगाम ना दे पर अपने हृदय को धोखा दे तो उसकी भक्ति व्यर्थ है! (याकूब 1:26) जी हां मित्रों आज ज्यादातर विश्वासियों में यह सबसे बड़ा धोखा है कि मैं धर्मी हूं ऐसा नहीं कि प्रभु ने हमें धर्मी नहीं बनाया यीशु मसीह ने अपने लहू से  धोकर हमें धर्मी बनाया है लेकिन धर्मी एक जीवन है जो सच्चाई और खराई का जीवन है इसमें झूठ और पाप की कोई जगह नहीं है लेकिन यदि हम अपने आपको देखें तो क्या हमारा जीवन ऐसा है क्या हमने झूठ बोलना छोड़ दिया है क्या हमने लालच करना छोड़ दिया है क्या हमने पूरी रीति से सच बोलना सीख लिया है क्या हमने बुराई करना छोड़ दिया है नहीं मित्रोंआज भी हममें बहुत सारी ऐसी गलत आदतें हैं जिसके कारण से हम धोखे में जी रहे हैं कि हम धर्मी हैं जबकि धर्मी बनने के लिए हमको पूरी रीती से यीशु के लहू में शुद्ध होना पड़ेगा और सच्चाई के मार्ग पर चलना पड़ेगा वचन के अनुसार अपने जीवन को जीना पड़ेगा लेकिन हम तो अपने मन के अनुसार जीने की कोशिश करते हैं कुछ ही लोग हैं जो वचन के अनुसार सच्चाई से खराई से चलने की कोशिश करत...

༺꧁ बाइबल के बारे में रहस्य ꧂༻:

༺꧁ बाइबल के बारे में रहस्य  ꧂༻:  परमेश्वर के दैनिक वचन अंश 265 बहुत सालों से, लोगों के विश्वास (दुनिया के तीन मुख्य धर्मों में से एक, मसीहियत) का परंपरागत साधन बाइबल पढ़ना ही रहा है; बाइबल से दूर जाना प्रभु में विश्वास करना नहीं है, बाइबल से दूर जाना एक पाखंड और विधर्म है, और यहाँ तक कि जब लोग अन्य पुस्तकें पढ़ते हैं, तो उन पुस्तकों की बुनियाद भी बाइबल की व्याख्या ही होनी चाहिए। कहने का अर्थ है कि, यदि तुम प्रभु में विश्वास करते हो तो तुम्हें बाइबल अवश्य पढ़नी चाहिए, और बाइबल के अलावा तुम्हें ऐसी किसी अन्य पुस्तक की आराधना नहीं करनी चाहिए, जिस में बाइबल शामिल न हो। यदि तुम करते हो, तो तुम परमेश्वर के साथ विश्वासघात कर रहे हो। बाइबल के समय से प्रभु में लोगों का विश्वास, बाइबल में विश्वास रहा है। यह कहने के बजाय कि लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, यह कहना बेहतर है कि वे बाइबल में विश्वास करते हैं; यह कहने के बजाय कि उन्होंने बाइबल पढ़नी आरंभ कर दी है, यह कहना बेहतर है कि उन्होंने बाइबल पर विश्वास करना आरंभ कर दिया है; और यह कहने के बजाय कि वे प्रभु के सामने लौट आए हैं, यह...

विषय- मन में मूरत .🫀

विषय- मन में मूरत .👑 इन पुरुषों ने तो अपनी मूरतें अपने मन में स्थापित की हैं! ( यहेजकेल 14:3) मित्रों मन में भी मूरत होती है हम सोचते हैं कि मूर्तिपूजक वाह है जो घर में मंदिर में मूर्ति पूछता है परंतु यहां बाइबल कहती कि मन में भी मूरतें होती है सचमुच बहुत से लोग मूर्ति पूजा छोड़ देते हैं घर में से मूरतें हटा देते हैं लेकिन सवाल यह है कि मन की मूर्ति हटि या नहीं पौलुस कहता है कि लालच मूर्ति पूजा है!  (इफिसियों 5:5 ) (कुलिस्सियों 3:5)  जी हां मित्रों मूरत वाह नहीं जो मिट्टी की बनी है लेकिन मूरत वाह है जो आपके मन में बसी है मिट्टी की मूरत तो तो हम तोड़ सकते हैं हटा सकते हैं पर मन की मूरत को तोड़ना और हटाना इतना आसान नहीं क्योंकि मन की मूरत में आपके प्राण बसे हैं आपकी आत्मा बसी है लेकिन यह मूरत कहीं आपके अनंत जीवन के लिए प्राणघातक ना बन जाए इसलिए मन की मूरत को अपने हृदय से निकालिए ताकि आप परमेश्वर को अपने हृदय में जगह दे सके! आज लोग यीशु के पास आना तो चाहते हैं आशीष तो पाना चाहते हैं पर यीशु मसीह को अपने जीवन में प्रथम स्थान नहीं देना चाहते हैं और यही कारण है वाह आशीष नहीं पाते ...

विषय- क्या आप जल और आत्मा से जन्मे है !

विषय- क्या आप जल और आत्मा से बहते हैं!   मित्रों पिछले भाग मैंने हवा का शब्द विस्तृत अर्थ कहावतों और मुहावरों के माध्यम से बताया है 5- हवा लगना- किसी प्रकार का बुरा परिणाम या व्यक्तिगत परिणाम! मित्रों जब हम हवा की बात करते हैं तो हमारा पूरा का पूरा भूमंडल बहुत सी गैसों और हवा के तत्व से घिरा हुआ है, जिसमें निरंतर ऑक्सीजन कम होती जा रही है जिसके कारण प्रकृति से छेड़छाड़ आज मानव जाति में और अहम के कारण प्रकृति से निरंतर छेड़छाड़ करता जा रहा है और विकास की ओर व पृथ्वी को विनाश की ओर ले जा रहा है इसका प्रतिफल हम इस दुनिया में आज की परिस्थितियों के रूप में देख रहे हैं कि वह निरंतर बढ़ती जा रही है और प्राकृतिक आपदाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं!   जिसका संकेत आज से 2023 साल पहले यीशु मसीह ने ही बता दिया था! ( मत्ती 24) हवा लगना- किसी प्रकार का बुरा परिणाम या व्यक्तिगत परिणाम! अगर इस मुहावरे के अर्थ को हम इस समय देखें तो आज के दौर में यह मुहावरा बिल्कुल उपयुक्त है क्योंकि आज शैतान की हवा पूरी दुनिया को लग चुकी है और लगातार मनुष्य जाति उसी हवा के साथ चलती चली जा रही है जिसका परिणाम बुरा औ...

विषय- जो मुझे हे प्रभु हे प्रभु कहते हैं!

विषय- जो मुझे हे प्रभु हे प्रभु कहते हैं! जब तुम मेरा कहना नहीं मानते तो क्यों मुझे हे प्रभु हे प्रभु कहते हो!  (लूका 6:46) जी हाँ मित्रों आज यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जो यीशु मसीह ने कहा तुम मुझे हे प्रभु हे प्रभु क्यों कहते हो जब तुम मेरा कहना ही नहीं मानते आज बहुत सारे विश्वासी सत्य में यीशु मसीह का कहना नहीं मानते ना तो उसके वचन के अनुसार चलते हैं बल्कि अपने मन के अनुसार करते हैं और हे प्रभु हे प्रभु भी कहते रहते हैं ऐसे में क्या भगवान की प्रार्थना को सुनते हैं क्या भगवान की प्रार्थना का उत्तर देता है क्या वे लोग स्वर्ग जाएंगे यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है जिसके विषय में यीशु मसीह बता रहे हैं! यीशु मसीह ने अपने वचन को अपने से बहुत महत्वपूर्ण बताया है और आगे बताया है कि जो कोई मेरी बातें मानता है वह अपना घर उस चट्टान पर बनाता है जो तूफान आने पर भी नहीं हिलता यानी मसीह जीवन परमेश्वर के वचन के ऊपर बनाना चाहिए मसीह का वचन एक चट्टान के समान जो हमें जीना सिखाता है जो हमें लांघता है!  कुछ ऐसे विश्वासी हैं जिन्होंने अपने घर मसीह के वचन के अनुसार चट्टान पर बनाया है, लेकिन एक बड़ी संख्...

विषय- कपड़े गंदे क्यों ?

  कपड़े गंदे क्यों? यहोवा यो कहता है आओ हम आपस में वाद-विवाद करें ताकि तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हो तो भी वह हिम की नाई उजले हो जाएंगे! ( यशायाह 1:18) किसी ने किसी से पूछा कि आपके कपड़े गंदे क्यों हैं? उसने कहा कि मेरे पास साबुन नहीं है फिर किसी और ने यह भी सवाल किया गया कि आपके कपड़े गंदे क्यों? उसने जवाब दिया मेरे पास साबुन तो है परंतु कपड़े धोने के लिए टाइम नहीं है!  यहां पर 2 आदमी है जिसके कपड़े गंदे हैं उनमें से एक के पास साबुन नहीं है दूसरे के पास समय नहीं है एक साफ कपड़े पहनने के लिए दोनों चीजें जरूरी है साबुन भी चाहिए और समय भी चाहिए यिर्मयाह पूछता है क्या गिलाद देश में बलसान नाम की दवाई नहीं और यदि है तो लोगों के घाव क्यों नहीं चंगे होते! ( यिर्मयाह 8:22) उस जमाने में यिर्मयाह के समय में बलसान की दवाई बहुत मशहूर थी!  (यिर्मयाह 46:11)  फिर भी बहुतों के घाव चंगे नहीं हुए मैं समझता हूं कि जिसके घाव चंगे नहीं हुए उसके दो ही कारण हो सकते हैं या तो उसके पास दवा खरीदने को पैसे नहीं होंगे या जिन्होंने वह दवा ली होगी उसे घाव पर नहीं लगाया होगा चंगाई तो 100% है सा...

विषय- उजियाला बुझ ना जाए!

उजियाला बुझ ना जाए! इसलिए चौकस रहें कि जो उजियाला तुझ में है वह अंधेरा न हो जाए! (लूका 11:35) यीशु मसीह ने हमें उजियाला ज्योति कहा और कहा कि यह उजियाला बुझ ना जाए अब चौकस और सावधान हमें उजियाला संभालना है! चार बातें यीशु मसीह ने बताईं जिससे दिया बुझ सकता है या दीए की रोशनी लुप्त हो सकती है! 1 -अंडर द बुशेल_स्तर ( मत्ती 5:15) यीशु ने कहा कि जलाकर पैमाने के नीचे मत रख पैमाने का अर्थ माप तोल कर बर्तन करें जिससे हम मसीह जीवन में मिलते हैं अगर आप ज्योति में रहना चाहते हैं तो आज ही आप लेने-देन में पवित्र बने वरन आपका दिया बुझ जाएगा! एक धनवान मसीह भाई के पास एक मसीह भाई आया और कहा लगा मैं यीशु पर विश्वास करता हूँ मेरा बपतिस्मा हो गया बाइबल के अनुसार हम दोनों भाई हैं आप तो अपने धन में से मुझे मेरा हिस्सा दिया यह धनवान भाई अंदर कमरे में जाकर ₹1 का सिक्का लेकर उसके हाथ में रख कर कहा मेरे करोदो भाई हैं मुझे सब देना है यह तुम्हारा हिस्सा लो और जाओ चल कपट आजकल कई मसीहो में दिखाई देता है!  ( नीतिवचन 11:1)  छल के तराजू से यहोवा को घृणा आती है!  यहूदा इस्किरियोति लेन-देन के ही चक्कर में ...

विषय- सबसे बड़ी समस्या .

विषय- सबसे बड़ी समस्या    एक भाई ने मुझसे कहा मेरी पांच समस्या इस साल में हल होना चाहिए इसके लिए प्रार्थना करो मैंने कहा मैं जरूर प्रार्थना करूंगा और आपकी यह 5 समस्या हल भी हो जाएंगे वाह भाई बहुत खुश हो गया उसके बाद मैंने कहा लेकिन भाई याद रखो कि इसके बाद 10 और समस्या इन 5 से भी खतरनाक आएंगी यह भाई बड़े अचंभे में आ गया और कहने लगा क्या आप यह भविष्यवाणी कर रहे हो मैंने कहा कि यह भविष्यवाणी नहीं है यह हकीकत है!  आज हर इंसान के पास समस्या है कुछ समस्या हल होती हैं कुछ और नई आ जाती हैं आदमी समस्याओं में पैदा होता है समस्याओं में ही मर जाता है मैंने उस भाई से कहा याद करो आपके पिछले जीवन में कोई दिन बिना समस्याओं के निकला हो अगर पिछले दिनों में समस्या  रही तो आगे भी रहेंगी फिर यह बात इस भाई को समझ में आ गई!  इसके बाद मैंने इस भाई से कहा कि सबसे पहले सबसे बड़ी समस्या हल होनी चाहिए यीशु मसीह ने कहा पहले तुम उसके धर्म और राज्य की खोज करो तो ये सब संसार की वस्तुएं भी तुम्हें मिल जाएंगी!  (मत्ती 6:33) पहले आत्मिक समस्या का हल ढूंढना चाहिए उसके बाद यीशु मसी...

तिनका और लढ्ढा

विषय- तिनका और लढ्ढा जब तेरी आंख में लट्ठा है तो तू अपने भाई से क्यों  कहता  है कि ला मैं तेरी आंख से तिनका निकाल दूं! (मत्ती 7:1-5) भैंस ने गाय से कहा तेरी पूंछ काली है परंतु गाय ने कहा तू पूरी काली है इंसान की बहुत बड़ी आदत बन चुकी है कि दूसरे की कमी निकालना जबकि उसको अपनी कमी कभी नहीं दिखती और पूरे संसार में आज यही दिख रहा है हर एक जाति का व्यक्ति दूसरे जाति की कमी निकाल रहे दूसरे के धर्म की कमी निकाल रहे है लेकिन वह अपनी जाति  अपने धर्म की कमी नहीं देखता जबकि हमारा धर्म केवल और केवल मानवता है और इंसानियत है कि हमें हर इंसान के लिए भलाई देखनी चाहिए और उसकी कमियों को सहज तरीके से बता कर उसको सही जीवन जीने की कला को सिखाना चाहिए!  लेकिन कला को सिखाने की वजह हम दोष लगाना ज्यादा पसंद करते हैं आज का इंसान दूसरे इंसान को सुधारने में लगा है दूसरे को सुधारना अच्छा है परंतु पहले अपने को सुधारना चाहिए!  कबीर दास कवि ने कहा कि बुरा जो देखन मैं चला बुरा ना देखा कोई जब दिल खोजा आपना तो मुझसे बुरा न कोई सब उनको संत कबीर भक्त कबीर कहते थे परंतु वह अपने को बुरा इंसान कहते थे...

विषय - वासना का अर्थ.

  वासना का अर्थ है- भावना, कामना, इच्छा, कल्पना, विचार, ख़याल, जबकि कामवासना का अर्थ है- शारीरिक यौन उत्तेजना की स्थिति! वासना का अर्थ- वासना का अर्थ होता है- किसी भी चीज के लिए ज्यादा तत्पर होना किसी भी चीज को पाने के लिए एक तीव्र इच्छा रखना या कुछ कर गुजरने की कल्पना, आपके मन उठने वाले विचार जिससे आप निकल नहीं पा रहे हों, कल्पना और सोचों को ही वासना कहती है!  ज्यादातर लोग इसे लड़के लड़कियों के यौन संबंध से जोड़ते हैं जो लड़के लड़कियों के विचारों से प्रभावित होते हैं और निकल नहीं पाते क्योंकि शैतान ने उनके व्यवहार की वासना में फँसाया होता है! जब हम प्रभु में नहीं थे तो अंधकार में थे और कहीं ना कहीं किसी वासना या कामवासना के विचारों से ग्रसित थे पर प्रभु हमें उन अंधकार के विचारों से अवश्य आजाद कर दिया है और छुड़ा लिया है!  और आप एक स्वतंत्र जीवन जी रहे हैं जो पाप रहित है! परंतु शैतान जो आपका विरोधी है, वह आपको छोड़ना नहीं चाहता और आपको उसी वासना और कामवासना के विचारों में गिराना चाहता है! इसीलिए वह मनुष्य की कमजोरी को उसी में गिराता है! जैसे कोई व्यक्ति अगर व्यभिचार की भू...

सुखी परिवार पार्ट 2.

  विषय- सुखी परिवार .2 मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते! ( यूहन्ना 15:5)  मित्रों एक विश्वासी परिवार तभी सुखी रह सकता है जब वह अपने परिवार में परमेश्वर को जीवन का मूल स्रोत बनाता है! क्योंकि हम परमेश्वर से जन्मे हैं और यदि परमेश्वर से ही हम अलग हो जाए तो हम क्या कर सकते हैं हम कुछ नहीं कर सकते जड़ से अलग होकर डाली फल नहीं सकती उसी तरह परमेश्वर से अलग होकर हम कुछ कर नहीं सकते! एक सुखी परिवार स्त्री और पुरुष के संबंधों के ऊपर निर्भर रहता है कि उनका आपसे प्रेम कैसा है क्या वह एक दूसरे की अधीनता और आज्ञाकारीता में है क्योंकि आशीष इसी में छुपी है अगर पुरुष गाड़ी का इंजन है तो स्त्री उस गाड़ी का पहिया है यानी सहायक अगर पुरुष उस गाड़ी को खींचता है तो स्त्री उस गाड़ी के पाहिए की तरह उस गाड़ी के भार को कम करने में सहायक का काम करती है  जो उसके भार को कम करती हैं और दोनों कब मिल कर रहना जरूरी है! आदमी संसार में रहकर सुख चाहता है कोई भी दुख पसंद नहीं करता फिर भी आज हर परिवार दुखी है आदमी चांद पर भी पहुंच गया फिर भी उसके दुख दूर नहीं हुए यह दुख कैसे दूर होंगे परिवार...

विषय - सुखी परिवार पार्ट 1.

  विषय- सुखी परिवार 1. मुझसे अलग होकर तुम कुछ भी नहीं कर सकते ! (यूहन्ना 15:5)  जी हां मित्रो एक परिवार तभी सुखी रह सकता है जब वह परमेश्वर की अधीनता में अपना जीवन बिताता है परमेश्वर की उपस्थिति में जीवन बिताता है और जो परमेश्वर के साथ नहीं चलता उसकी उपस्थिति नही बैठता  कभी आनंद के साथ नहीं जी सकता आज बहुत से विश्वासी दुखी हैं परेशान है प्रभु यीशु के पीछे चल रहे हैं फिर भी दुखी हैं  और उनकी परेशानियों का कारण यही है कि वह परमेश्वर की उपस्थिति में नहीं बैठते हैं  परमेश्वर के आधीनता में नहीं रहते वह परमेश्वर की आज्ञाकारीताक में नहीं रहते नाम तो परमेश्वर का लेते हैं! परंतु करते अपने मन की हैं और इसीलिए यीशु मसीह ने कहां मेरे तुम कुछ नहीं कर सकते जिसके अंदर परमेश्वर ने जन्म नहीं लिया जिसके अंदर परमेश्वर के वचन ही नहीं है प्रेम नहीं अधीनता नहीं और आज्ञाकारीता नहीं वाह परिवार कभी भी सुखी और आनंदित नहीं रह सकता क्योंकि जीवन का मूल स्रोत परमेश्वर है और परमेश्वर से अलग होकर आप जीवन का सच्चा नहीं उठा सकते! ध्यान करेंगे सबसे पहले परमेश्वर ने आदमी को बनाया फिर आद...